गौरेला-पेंड्रा-मरवाही । वन विभाग ने तेंदूपत्ता खरीदी शुरू कर दी है, लेकिन मरवाही जंगल में तीन हाथियों के दल के विचरण ने ग्रामीणों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। वन विभाग एक ओर तेंदूपत्ता खरीदी को बढ़ावा दे रहा है, तो दूसरी ओर ग्रामीणों को जंगल में न जाने की अपील कर रहा है, जिससे ग्रामीणों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।मध्य प्रदेश में 50 दिन बिताने के बाद तीन दिन पहले तीन हाथी मरवाही वन मंडल में लौटे हैं। वर्तमान में ये हाथी गुल्लीडांड, मरवाही परिसर के सतनरवा जंगल (कक्ष 2025, 2026) में विचरण कर रहे हैं। हाल ही में कुम्हारी और बरैहाटोला में फसलों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि कोई जनहानि या मकान क्षति की सूचना नहीं है। ग्रामीणों को डर है कि तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल जाने पर हाथियों से मुठभेड़ हो सकती है, लेकिन समय पर तेंदूपत्ता न तोड़ने से उनकी आजीविका प्रभावित होगी। वन विभाग ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं
निगरानी और मुनादी: वन कर्मचारी मनमोहन रजवाड़े (परिसर रक्षक, गुल्लीडांड) सहित टीम हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। ग्रामीणों को जंगल में न जाने और हाथियों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है। सुरक्षा व्यवस्था: विभाग तेंदूपत्ता खरीदी के लिए सुरक्षित रास्तों की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहा है। हाथी विचरण सूचना: 12 मई 2025, सुबह 9:00 बजे की सूचना के अनुसार, हाथी मरवाही, नाका, सेमरदर्री, ढपनीपानी, और घुसरिया की ओर बढ़ सकते हैं।ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए सुरक्षित व्यवस्था की जाए, जैसे कि हाथी भगाओ दस्ता या सोलर फेंसिंग जैसी तकनीकों का उपयोग। वे चाहते हैं कि उनकी आजीविका और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो।
हाथियों की बढ़ती आमद ने मरवाही जंगल में मानव-हाथी संघर्ष को गंभीर बना दिया है। वन विभाग की दोहरी जिम्मेदारी—तेंदूपत्ता खरीदी को बढ़ावा देना और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना—एक जटिल चुनौती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सोलर फेंसिंग, जैसा कि उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सफल रहा है, और स्थानीय समुदाय की भागीदारी से इस समस्या का समाधान संभव है। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल में न जाएं और किसी भी हाथी की गतिविधि की जानकारी तुरंत वन कर्मचारियों (संपर्क: 6268-362869) को दें। स्थिति सामान्य है, लेकिन सतर्कता बरतना जरूरी है।
