बिलासपुर। संभागीय मुख्यालय होते हुए भी बिलासपुर का आरटीओ दफ्तर बिना स्थायी अधिकारी के चल रहा है। स्थिति अब इतनी गंभीर हो चुकी है कि लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जैसे जरूरी कामों के लिए भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
लाइसेंस बनवाने, ट्रांसफर या वाहन पंजीयन जैसे कार्यों के लिए आने वाले लोगों का कहना है आरटीओ में किसी प्रकार की समस्याएं हो जाती है आरटीओ अधिकारी दिखते ही नहीं हैं। कई दिनों तक चक्कर लगाने के बाद भी उनका काम नहीं हो पा रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब नागरिक किसी उच्च अधिकारी से शिकायत करना चाहते हैं, तो उन्हें दूसरे जिले जाना पड़ेगा, यह अधिकारी इस जिले में कब बैठेगा उसका इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि बिलासपुर में आरटीओ अधिकारी स्थायी रूप से नियुक्त ही नहीं है। दूसरे जिले के अधिकारी को प्रभार के रूप है मिली है जिम्मेदारी।
इस लापरवाही से न केवल आम जनता की सुविधा प्रभावित हो रही है, बल्कि पूरे संभागीय मुख्यालय की गरिमा पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। अब सवाल यह है कि आखिर कब तक बिलासपुर बिना अपने आरटीओ अधिकारी के रहेगा?
