Jan Dhan Yojana: अनिल गुप्ता माइक्रोसेव कंसल्टिंग में पार्टनर हैं और अभिषेक कटारिया माइक्रोसेव कंसल्टिंग में प्रबंधक
बहुत अधिक समय नहीं बीता जब केवल 35% भारतीयों के पास औपचारिक रूप से बैंक खाता हुआ करता था और उनमें से भी महज 8% औपचारिक ऋण की सुविधा लेते थे। ग्रामीण भारत की बुजुर्ग राजेश्वरी देवी जैसी अनगिनत महिलाओं को बैंक खाता खोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। कम से कम एक बैंक खाते के साथ वित्तीय समावेशन प्राप्त करना भारत में एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है।
भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) 28 अगस्त 2014 को शुरू किए जाने के बाद स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों को उचित दूरी के भीतर किफायती वित्तीय सेवाएं प्रदान करना था। पीएमजेडीवाई के छह स्तंभ हैं: i) बैंकिंग सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच, ii) रुपे डेबिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ कम से कम एक बेसिक बैंकिंग खाता प्रदान करना, iii) वित्तीय साक्षरता, iv) क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण और ऋण तक पहुंच, v) सूक्ष्म बीमा, और vi) असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन सुविधा।
वर्ष 2025 तक भारत में बैंक खाता रखने वालों की तादाद बढ़कर 90% हो गयी, जो 2011 के आंकड़े से दोगुने से भी अधिक है और 79% के विश्वव्यापी औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। विश्व बैंक ने बताया कि भारत ने छह वर्षों में अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया, जिसमें अन्यथा 47 साल लगते। पीएमजेडीवाई के तहत “मेरा खाता, भाग्य विधाता” बैंकिंग सुविधाओं से वंचित आबादी के लिए वित्तीय स्वतंत्रता को सक्षम करने के लक्ष्य को दर्शाता है।
वित्तीय समावेशन का एक उल्लेखनीय सफर— आंकड़े खुद बोलते हैं
जुलाई 2025 तक 55.98 करोड़ खातों का आधार और 2.62 लाख करोड़ रुपये का लगातार बढ़ता जमा आधार, निम्न और मध्यम आय वर्ग (एलएमआई) के लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाने में इस जन आंदोलन की सफलता को दर्शाता है।
खास बात यह है कि 66.7% लाभार्थी ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं, जो दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने में पीएमजेडीवाई के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करता है। लगभग 55.8% पीएमजेडीवाई खाताधारक महिलाएं हैं, जो बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच में लगातार मौजूद लैंगिक अंतर को देखते हुए एक और उपलब्धि है।
पीएमजेडीवाई की सफलता इसके मिशन-मोड दृष्टिकोण, नियामक समर्थन, सार्वजनिक-निजी सहभागिता और बायोमेट्रिक पहचान के लिए आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को उजागर करती है। अंतिम सिरे तक मौजूदगी रखने वाले 13 लाख से अधिक एजेंटों ने अपने आस-पास ग्राहकों में पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं को मजबूत किया है।
जुलाई 2025 तक, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत लगभग 23.60 करोड़ लोगों ने कुल मिलाकर नामांकन किया था। इस बीच, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) में कुल 51 करोड़ मिलियन नामांकन हुए। इसके अलावा 7.6 करोड़ लोगों ने सेवानिवृत्ति कोष बनाने के लिए अटल पेंशन योजना (एपीवाई) योजना में नामांकन किया।
मार्च 2025 तक वित्तविहीन लोगों को वित्त प्रदान करने की पहल के तहत बैंकों ने सूक्ष्म एवं छोटे व्यवसायों को कुल 32.6 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ ऋण स्वीकृत किए।
पीएमजेडीवाई: वित्तीय लचीलापन और ऋण तक पहुंच को बढ़ावा देना
औपचारिक बचत:
पीएमजेडीवाई ने बैंकिंग सुविधाओं से वंचित आबादी के वित्तीय लचीलेपन को बढ़ाने के लिए एक मजबूत आधारशिला रखी। एमएससी के शोध से पता चलता है कि 67% महिलाओं और 64% पुरुषों ने मुख्य रूप से भविष्य के लिए बचत करने के लिए बैंक खाते खोले। बचत व्यवहार में यह बदलाव लोगों के लिए उन वित्तीय झटकों का प्रबंधन करने के लिए महत्वपूर्ण है जो एलएमआई परिवारों को गरीबी में धकेल देते हैं। औसत बैंक जमा में चार गुना वृद्धि इस व्यवहार परिवर्तन को प्रमाणित करती है। दिलचस्प बात यह है कि पीएमजेडीवाई खातों में 12% वार्षिक जमा वृद्धि पिछले पांच वर्षों में 9% की समग्र बुनियादी बचत बैंक खाते की जमा राशि से अधिक रही।
औपचारिक ऋण:
पीएमजेडीवाई ने बचत को सक्षम किया, जबकि औपचारिक वित्तीय इतिहास के बिना लोगों को ऋण तक पहुंच प्रदान की। खाताधारक अब बचत पैटर्न दिखा सकते हैं, जो उन्हें वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए पात्र बनाता है। सबसे करीबी प्रॉक्सी मुद्रा ऋणों के तहत स्वीकृतियां हैं, जो वित्तीय वर्ष 2020 से वित्तीय वर्ष 2025 तक पांच वर्षों में 11.48% की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ीं। ऋण तक यह पहुंच परिवर्तनकारी है क्योंकि यह व्यक्तियों को अपनी आय बढ़ाने के लिए सशक्त बनाती है।
अब जन धन से जन समृद्धि?
जन धन ने जन समृद्धि के लिए मंच तैयार किया है, जहाँ उपयोगकर्ता उपयुक्त और किफायती सेवाओं के साथ अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं। एमएससी का शोध यह दर्शाता है कि लोग अपने खातों का उपयोग एक या दो सेवाओं के लिए करते हैं। इस प्रकार, हमें प्रासंगिक समाधानों को संशोधित और/या विकसित करके जुड़ाव में सुधार करने के तरीके खोजने होंगे जो अनुरूप समाधान, स्पष्ट संचार, विश्वसनीय शिकायत प्रक्रियाओं और लचीले अंतिम ढांचे के साथ एलएमआई समूह की आकांक्षाओं संबोधित करते हैं।
प्रदर्शन की निगरानी के जरिए आकलन महत्वपूर्ण है जैसे कि आईबीआई का वित्तीय समावेशन इंडेक्स। सूचकांक के उप-पैरामीटरों के बारे में विवरण साझा करना और विभिन्न राष्ट्रीय सर्वेक्षणों के माध्यम से उन्हें मजबूत करना अधिक समावेशी होगा।
भारत के फास्ट पेमेंट्स में एक वैश्विक लीडर के रूप में उभरने के कारण, हमें डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपार अवसरों को अनलॉक करने के लिए अधिक पीएमजेडीवाई खाताधारकों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं को अपनाने के लिए प्रयास करना चाहिए। अन्य संबंधित कार्यक्रमों के साथ तालमेल और स्थानीय एजेंसियों के साथ समन्वय, वंचित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए डिजिटल अंतर को पाटने में मदद कर सकता है।
सच्चा वित्तीय समावेशन सिर्फ पहुंच से परे है; यह सही उत्पादों और सेवाओं, उच्च सेवा गुणवत्ता सुनिश्चित करने और औपचारिक वित्तीय प्रणाली के साथ सार्थक जुड़ाव को बढ़ावा देने के बारे में है। भारत जैसे विविधता से भरे देश के लिए वित्तीय समावेशन की यात्रा कठिन है। पीएमजेडीवाई ने लाखों लोगों को, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को, बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचने और राजेश्वरी देवी जैसे लोगों के लिए अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करने के लिए सशक्त बनाया है, जो कतार में सबसे आखिर में हैं।
