poetry symposium : कवियों ने काव्य रस से किया सराबोर

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  • पावस प्रसंग पर क्षेत्रीय काव्य गोष्ठि संपन्न

  • पचास से अधिक कवि/कवियित्रियों ने पावस ऋतु पर अपने शृंगार,वियोग व श्रांत रस की काव्य रचनाओं से किया मंत्रमुग्ध 

बिलासपुर। poetry symposium : गत दिवस १९-०७-२०२५ को राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बिलासपुर द्वारा संस्कार भवन महामाया चौक में पावस प्रसंग पर क्षेत्रीय काव्य गोष्ठि का आयोजन किया गया जिसमें मूंगेले,लोरमी, रतनपुर, जयराम नगर तथा बिलासपुर के पचास से अधिक कवि/कवियित्रियों ने पावस ऋतु पर अपने शृंगार,वियोग व श्रांत रस की काव्य रचनाओं के सुरसाधना से काव्य रसिक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा पावस रस से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम का प्रारंभ माॅं सरस्वती व भारत माते के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा वंदना से हुआ।
इस अवसर पर साहित्य परिवार के दिवंगत पद्म श्री सुरेन्द्र दुबे एवं स्व दामोदर मिश्र को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके साहित्यिक,सामाजिक अवदानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति डाॅ चंद्र भूषण वाजपेई ने पावस के पौराणिक महत्व को रेखांकित करते हुए काव्यायोजन में उपस्थित क्षेत्रीय रचनाकारों की काव्यात्मक सहभागिता की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कविता को साहित्यिक संस्कार का आधार बताया। बताया कि भगवान विष्णु जब देवशयनी एकादशी को शयन के लिए जाते हैं तब पूरे सावन में देवाधिदेव महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । वहीं मानव जीवन को ऊर्जावान करने हेतु त्यौहारों की श्रृंखला शुरू हो जाती है । प्रत्येक त्यौहार जीवन के लिए नव संदेश लेकर आते हैं ।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डाॅ विनय कुमार पाठक, कुलपति थावे विद्या पीठ गोपाल गंज बिहार द्वारा पावस ऋतु को नवजीवन का संदेश वाहक बताते हुए इसे छायावाद व रहस्यवाद का सर्जक बताया जिसने महादेवी, जयशंकर प्रसाद जैसे रचनाकारों को रचना सृजन हेतु प्रेरित किया।
इससे सारी सृष्टि को जीवन मिलता है । छत्तीसगढ़ की संस्कृति कृषि संस्कृति है अतः यहाँ इसकी विशेष महत्ता है । यहाँ इसी से सभी त्यौहारों की शुरुआत होती है ।
उन्होंने पावस ऋतु को पर्यावरण से जोड़ते हुए कृति धातु के साथ उपसर्ग प्र,सम्,वि से होने वाले अर्थ व गुण परिवर्तन पर भाषा वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखा तथा इस सफल काव्य आयोजन के लिए आयोजक पदाधिकारियों की प्रशंसा की।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में डा राघवेन्द्र दुबे एवं डा अरुण कुमार यदु ने कृषि, पर्यावरण,जल संरक्षण पर अपने जन उपयोगी विचार रखे।
इस अवसर पर स्वागत भाषण में राष्ट्रीय कवि संगम के जिला अध्यक्ष अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर ने कहा कि पावस का मानव जीवन में अन्य ऋतुओं की तुलना में अत्यधिक महत्व है इसीलिए साहित्य में पावस को विशेष स्थान प्राप्त है ।

poetry symposium : कवियों ने काव्य रस से किया सराबोर

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पूर्णिमा तिवारी, उपाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर के सफल संचालन में आयोजित काव्य गोष्ठी में शहर एवं अंचल से पधारे कवि/ कवयत्रियों ने काव्य पाठ किया । कार्यक्रम के अंत में सभी रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रहस लोक परंपरा के ख्यातनाम लोक कलाकार काशी राम साहू  रतनपुरिहा का शाल, श्रीफल व सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया। अंत में आभार प्रदर्शन आशीष श्रीवास, सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर द्वारा किया गया। इस अवसर पर कविता प्रस्तुत करने वाले रचनाकार थे: डाॅ रामरतन श्रीवास, डाॅ ओम प्रकाश बिरथरे,बसंत पाण्डेय ‘ऋतुराज’,राम निहोरा राजपूत, शतुघ्न जसवानी शाद, रेणु वाजपेई, भूपेन्द्र श्रीवास्तव,राजेश कुमार सोनार,दीपक दुबे,विपुल तिवारी,अशोक कुमार शर्मा, रामेश्वर शाण्डिल्य,दिनेश कुमार पाण्डेय,रश्मि रामेश्वर गुप्ता, आशीष श्रीवास, जलेश्वरी वस्त्रकार, शीतल पाटनवार,बजरंगबली शर्मा, हीरा सिंह चाहिल,अंकुर शुक्ल,  रश्मि अग्रवाल,डाॅ संगीता बनाफर,डाॅ शोभा त्रिपाठी, काशी राम साहू,डाॅ किरण राठौर, डाॅ दिलीप सिंह राजपूत,विनस सोनी,रामकुमार पटेल,डाॅ रश्मि लता मिश्रा,विक्रम सिंह राजपूत,आशा चंद्राकर,जान वर्मा,वीणा शुक्ला,संतोष श्रीवास, प्रेमलता यदु,सतीश पाण्डेय उद्यान, ध्रुव देवांगन,महेंद्र कुमार दुबे।

 

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