राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर द्वारा पोरा पर विमर्श व काव्य गोष्ठी आयोजित
Pora festival: बिलासपुर । राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर द्वारा पोरा पर्व के अवसर पर विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह आयोजन डॉ विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के मुख्य आतिथ्य में वरिष्ठ कवि सनत तिवारी की अध्यक्षता एवं अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर, शत्रुघन जैसवानी की विशिष्ट आतिथ्य में किया गया ।
इस अवसर पर डॉ विनय कुमार पाठक ने कहा कि पोरा पर्व छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति का पर्व है । उन्होंने इस पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीकृष्ण जहाँ गोपाल के रूप में पूजित हैं वहीं हलधर बलराम कृषि संस्कृति पालक के रूप में पूजित होकर गो पालन एवं कृषि को जीवन आजिविका के रुप में स्वीकार करने का संदेश देते हैं । अध्यक्षीय उदबोधन में सनत तिवारी जी ने छत्तीसगढ़ में पोरा पर्व मनाने की परंपरा एवं महत्ता को विस्तार से बताते हुए कहा कि इस दिन खेतों में धान की बाली में दाना का गर्भाधान होता है वहीं महिलाएं इस दिन गाँव के बाहर बने पोरा पटान में मिट्टी से बने खाली पोरे के साथ मिष्ठान्न शेष को जमीन में पटक कर घर परिवार और गाँव को दुकाल आदि से बचाने की प्रार्थना करते हैं और इस अवसर पर बने व्यंजन ठेठरी खुरमी को आपस में बाँट कर खाते हैं । विशिष्ट अतिथि अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर जी ने पोरा पर्व को भगवान कृष्ण द्वारा पोलासुर राक्षस का वध करने वाली कथा से जुड़ा हुआ बताया वहीं पोरा के रुप में पूजनीय कृषि सहयोगी पशुधन बैल की महत्ता में निरंतर कमी आने का प्रमुख कारण कृषि यंत्रीकरण को बताते हुए बैल की उपेक्षा के प्रति चिंता व्यक्त किया तथा इसे संरक्षित करने के लिए गांव के कृषि परिवहन में संलग्नता जैसे विकल्पों सहित विशेष योजना निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर पोरा के सांस्कृतिक व आध्यात्मिकता महत्व को लेकर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें राम निहोरा राजपूत, डा बजरंगबली शर्मा, डॉ अंकुर शुक्ला, शत्रुघन जैसवानी, आशीष श्रीवास, डॉ राघवेन्द्र दुबे , सनत तिवारी, विष्णु कुमार तिवारी, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव व अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर, बालमुकुंद श्रीवास ने काव्य पाठ किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ राघवेन्द्र दुबे ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ विवेक तिवारी ने किया ।
