बाल संरक्षण की दिशा में लगातार हो रहे प्रयास : डीजीपी अजय
raipur रायपुर। दिव्यांग बच्चों के अधिकारों की रक्षा और संवेदनशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम की पहल पर किया गया। इस कार्यशाला का विषय था सेफगार्डिंग इंटरेस्ट ऑफ चिल्ड्रन विद डिसएबिलिटीज जिसे छत्तीसगढ़ पुलिस और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में पुलिस मुख्यालय, नवा रायपुर में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए पुलिस महानिरीक्षक अजय यादव ने कहा कि बाल संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिलों में पदस्थ विशेष किशोर पुलिस इकाई (SJPU) और बाल कल्याण पुलिस अधिकारी (CWPO) सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई है।
इस प्रशिक्षण में दिव्यांग बच्चों से जुड़े मामलों की विवेचना कैसे की जाए, और ऐसे बच्चों के प्रति पुलिस को किस प्रकार संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए, इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवारों और सामाजिक संस्थाओं का विघटन हो रहा है, जिससे बच्चों को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता। ऐसे में पुलिस पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है कि वह बच्चों की आवश्यकताओं को समझे और संवेदनशीलता के साथ कार्य करे। उन्होंने कहा कि पुलिस को सभी हितधारकों के सहयोग से बच्चों के हित में यथोचित पहल करनी होगी, क्योंकि अधिकांश मामलों में पुलिस प्रथम उत्तरदाता होती है।
प्रशिक्षण सत्र में नई दिल्ली की संस्था आस्था ऑर्गनाइजेशन से विषय विशेषज्ञ प्रतीक अग्रवाल और समाज कल्याण विभाग के सहायक संचालक कमल सिंह भदौरिया ने दिव्यांगता का इतिहास, सामाजिक जवाबदेही, मौजूदा कानूनी प्रावधान, पुलिस की भूमिका और केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी।
इस कार्यशाला में विभिन्न जिलों और पुलिस मुख्यालय के कुल 135 पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर सहायक पुलिस महानिरीक्षक पूजा अग्रवाल, यूनिसेफ की चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर चेतना देसाई और पुलिस मुख्यालय के अन्य अधिकारी/कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
