प्रशासन के नाक के नीचे घोटाला और अवैध कार्य ! किस अधिकारी के मिलीभगत से हो रहा अनैतिक कार्य और कमिशन खोरी ?

बिलासपुर। हमारे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नूतन कॉलोनी स्थित शासकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में वहां के मुख्य अधिकारी के सह पर घोटाले और अवैध कार्य अपने चरम पर हैं, शिकायत होने पर भी मामले में सांठ-गाँठ होने के कारण मामला वहीं रफा-दफा कर दिया जाता है । इसकी शिकायत होने पर भी उच्चाधिकारियों के द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी और मामले को धीरे से दबा दिया गया ।

पेंशनर मरीजों के बजट के साथ हेरा फेरी

इसके साथ ही सरकार के द्वारा हर वर्ष पेंशनर मरीजों के लिए बजट दिया जाता है जिसमे टेंडर के द्वारा मरीजों को दवा दी जाती है पेंशनर ठेके में भी धांधली साथ ही पेंसनर ठेके में भी लेने-देन कर हर बार ठेका एक ही व्यवसायी को दिलवाया जा रहा है और इस वर्ष हुए निविदा के प्रकिया का भी अनुपालन सही प्रक्रिया में नियमानुसार नहीं किया गया गड़बड़ी की शिकायत भी मिली थी लेकिन कोई कार्यवाही ना करते हुए एक ही व्यापारी को फिर से दवाई सप्लाई करने के लिए आदेश दे दिया गया । जिससे स्पष्ट धांधली नज़र आती है।

पूर्व में दिनांक 31/08/2024 एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित खबर में भी इसका जिक्र हुआ था कि शासकीय दवाइयों को अस्पताल के सामने एक औषधालय में भी अवैध ढंग से सप्लाई की गयी थी और जब दवाई पकड़ी गयी तब भी उच्चाधिकारियों ने मामले को दबा दिया और इसमें बताया गया कि चिकित्सालय के स्टोर डिपार्मेंट द्वारा शासन से सप्लाई औषधि को दुकान में दी जाती थी, जिस पर कोई कार्यवाही आजतक नहीं की गयी और ना ही उसमे संलिप्त कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही की गयी । उच्चाधिकारियों के द्वारा कई बार ऐसी शिकायतों को दबाना और कोई कार्यवाही ना करना उनकी संलिप्तता को दर्शाता है

कुछ समय पूर्व दिनांक 06 /10 /2023 मुख्य जिला अधिकारी को भी कायचिकित्सा के डॉक्टर की शिकायत की गयी थी। जिसमे उल्लेख था की उनके द्वारा अपने मूल कर्तव्यों का निर्वहन न कर कॉलेज एवं चिकित्सालय के कार्यों में बाधा एवं दखलंदाजी करने के आरोप स्पष्ट रूप से लगाए गए थे। जिसमे मुख्य रूप से एक औषधालय के साथ मिलीभगत कर कमिशन वाली दवाइयां लिखी जा रही थी, कॉलेज में बच्चों की पढ़ाई में ध्यान नहीं दिया जा रहा था, पढ़ने वाली छात्राओं को प्रताड़ित कर उन्हें जबरन मोबाइल में बात करने और क्लास के बाद घर पर मिलने कहा जाता था, वेंडर्स द्वारा 20% किसी भी प्रकार की खरीदी पर कमिशन लिया जाता था चूँकि डॉक्टर साहब प्रिंसिपल साहब के अत्यंत करीबी हैं इसलिए इनपर उनकी विशेष कृपा है और साथ ही किसी भी प्रकार के कार्यवाही के गाज गिरने का उन्हें कोई दर नहीं है। उक्त सभी आरोपों को लिखित रूप में भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति द्वारा शिकायत के तौर पर जिला अधिकारी को सौंपा गया था जिसमे क्या कार्यवाही की गयी उसका आज तक पता नहीं चला है। इसी कड़ी में एक और बात सामने आयी है कि अस्पताल के ज्यादातर डॉक्टर भी कमीशन लेकर दवाइयां बाहर की लिखते हैं । अब देखना यह है कि प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से जाग कर कोई कार्यवाही करेगा या फिर किसी प्रकार की लीपापोती कर खानापूर्ति कर दी जाएगी ।

फर्जी नियुक्तियां भी एक बड़ी समस्या

फ़र्ज़ी नियुक्तियां गौरतलब हो कि, आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में लगातार नियुक्तियों में भी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। फ़र्ज़ी अंकसूची के आधार पर एवं अनैतिक ढंग से भी लोगों की फ़र्ज़ी नियुक्तियां कर दी गयी जिसकी शिकायत भी हुई और कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाये गए। जहाँ चतुर्थ श्रेणी के 11 पदों पर फर्ज़ीवाड़े के मामले का खुलासा हुआ है साथ ही अनुकम्पा नियुक्ति में भी सांठगांठ कर नियुक्ति का मामला प्रकाश में आया है। एक विषय ऐसा भी सामने आया है जिसमे नियमों को ताक पर रख एक कर्मचारी को नियुक्त कर 11 वर्ष तक नौकरी करवाने के बाद उसका इस्तीफा लिया गया जो कि पूर्व में अनैतिक तरीके से नियुक्त हुई थी।

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