बिलासपुर । श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकण्डा मे प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी माघ गुप्त नवरात्र महोत्सव 30 जनवरी से 6 फरवरी तक हर्षोल्लास के साथ श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा, इस अवसर पर प्रतिदिन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार, मर्यादा पुरुषोत्तम परमब्रह्म श्रीराम जी का पूजन, श्रृंगार, श्री सिद्धिविनायक जी का पूजन, श्रृंगार, श्री महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती देवी का श्री सूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधरियापूर्वक अभिषेक, रात्रि कालीन पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ निरंतर चलता रहेगा। पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में 4 बार आती है। यह चार माह है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र वासंतीय नवरात्र, आश्विन शारदीय नवरात्र इन्हें प्रकट नवरात्रि कहते हैं एवं माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। चैत्र, शारदीय नवरात्रि को प्रत्यक्ष और माघ, आषाढ़ को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है परंतु गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि में सात्विक साधना का उत्सव मनाया जाता है जबकि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है। प्रत्यक्ष नवरात्रि को सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु मनाया जाता है जबकि गुप्त नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु मनाया जाता है। प्रत्यक्ष नवरात्रि वैष्णवों की है और गुप्त नवरात्रि शैव और शाक्तों की है। प्रत्यक्ष नवरात्रि की प्रमुख देवी मां पार्वती है जबकि गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी मां काली है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इनमें 9 दिन तक मां दुर्गा की तंत्र साधना व तंत्र सिद्धि की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इन दिनों मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। हर युग में नवरात्रि का अपना अपना महत्व रहा है।
पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश महाराज ने बताया कि सतयुग में चैत्र मास की नवरात्रि का अधिक प्रचलन था, वहीं त्रेतायुग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का, द्वापर युग में माघ मास की गुप्त नवरात्रि और कलयुग में अश्विन और शारदीय नवरात्रि को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
प्रपंच से परमात्मा की ओर ले जाती है साधना। संसार प्राप्ति की साधना सामान्य और मोक्ष प्राप्ति की साधना है। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी है। ये दस महाविद्याएं दस रुद्रावतारों की शक्तियां हैं।
माँ काली : माँ काली रुद्रावतार महाकालेश्वर को शक्ति हैं। इनकी साधना से विरोधियों पर विजय प्राप्ति होती है।
माँ तारा: तारकेश्वर रुद्र की शक्ति माँ तारा की सबसे पहले उपासना महर्षि वसिष्ठ ने की थी। इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है। इनकी उपासना आर्थिक उन्नति और मोक्ष को प्राप्ति होती है।
माँ त्रिपुरसुंदरी : षोडेश्वर रुद्रावतार की शक्ति को ललिता, त्रिपुरसुंदरी या राजराजेश्वरी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माँ त्रिपुरभैरवी : रुद्र भैरवनाथ की शक्ति हैं। इनकी साधना से जीव बंधनों से मुक्त हो जाता है।
माँ भुवनेश्वरी : ये भुवनेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनको साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
माँ छिन्नमस्ता : छिन्नमस्तक रुद्र की शक्ति माँ छिन्नमस्ता की साधना से सभी चिंताएं दूर होती हैं और समस्त कामनाएं पूरी होती हैं।
माँ धूमावती : धूमेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी आराधना से सभी संकट दूर होते हैं। इनकी पूजा विवाहिता नहीं बल्कि विधवा स्त्रियां करती हैं।
माँ बगलामुखी : बगलेश्वर रुद्र की शक्ति माँ बगलामुखी की साधना से मनुष्यों को भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
माँ मातंगी : मतंगेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है।
माँ कमला : कमलेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को धन सन्तान की प्राप्ति होती है।
गुप्त नवरात्र की महिमा को आम लोगों तक ऋषि श्रृंगी ने पहुंचाया था। एक दिन ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों के साथ आश्रम में बैठे धर्म चर्चा कर रहे थे। चर्चा समाप्त होने के पश्चात एक महिला उनके पास आई और दुखी होकर कहा कि उसका पति अनीतिपूर्ण कार्य करता है। बार-बार समझाने पर भी उसमें कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। इस वजह से घर में कलह रहता है और पूजा-पाठ भी नहीं हो पाता है। कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे शीघ्र ही उनके व्यसन दूर हो जाएं। तब ऋषि श्रृंगी ने उस महिला को गुप्त नवरात्र की महिमा बताते हुए दस महाविद्याओं की उपासना करने को कहा और कहा कि यह उपासना शीघ्र फलदायी है। इससे उसे अवश्य लाभ होगा। तभी से गृहस्थ लोगों में भी गुप्त नवरात्र प्रचलित हुए। इस नवरात्र की साधना को गुप्त रखा जाता है इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।