नईदिल्ली । गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर ऐतिहासिक परेड आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों की झांकियां प्रस्तुत की गईं। इन झांकियों में सबसे ज्यादा चर्चा संविधान की झांकी ने बटोरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देखकर उत्साहपूर्वक हाथ हिलाकर स्वागत किया। इस झांकी के माध्यम से सरकार ने संविधान की महत्ता का संदेश दिया, साथ ही विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब भी देने की कोशिश की।
संविधान की झांकी का संदेश
बीते चुनावों के दौरान विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, ने दावा किया था कि अगर मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। इन आरोपों का खंडन करते हुए सरकार ने संविधान की झांकी के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि संविधान का सम्मान सर्वोपरि है। झांकी में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की आवाज गूंजती रही, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
झांकी की विशेषताएं
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा तैयार की गई इस झांकी में संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ को दर्शाया गया। झांकी के अगले हिस्से में अशोक चक्र और पिछले हिस्से में भारत का संविधान दिखाया गया। अशोक चक्र को ‘समय के पहिये’ के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो निरंतर प्रगति का संदेश देता है। पूरी झांकी को प्राकृतिक फूलों से सजाया गया, जिसने इसे और आकर्षक बना दिया।
बाबा साहेब आंबेडकर की गूंज
झांकी में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की आवाज को भी प्रमुखता दी गई। उन्होंने संविधान सभा में दिए गए ऐतिहासिक भाषण से प्रेरित होकर कहा, “हमारी समस्या अंतिम लक्ष्य को लेकर नहीं है, बल्कि शुरुआत को लेकर है। विविधता में एकता लाने का प्रयास ही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।”
विपक्ष को मिला संदेश
सरकार ने इस झांकी के माध्यम से विपक्ष को यह संदेश दिया कि आलोचना से आगे बढ़कर सभी को देश के विकास और संविधान की मूल भावना को कायम रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।