दिल्ली की राजनीति पर महिलाओं का कब्जा: सत्ता और विपक्ष दोनों की कमान महिला नेताओं के हाथों में

दिल्ली की राजनीति में इस बार महिलाओं का दबदबा साफ नजर आ रहा है। राजधानी के इतिहास में जहां कभी सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित जैसी महिला नेताओं ने अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई थी, वहीं अब रेखा गुप्ता और आतिशी ने सत्ता और विपक्ष दोनों की कमान संभालकर दिल्ली की राजनीति में नया अध्याय लिख दिया है।

रेखा गुप्ता की आक्रामक शुरुआत

भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने तेवर साफ कर दिए। उन्होंने एलान किया कि पिछली सरकार द्वारा रोकी गई सभी कैग रिपोर्ट्स को सदन के पटल पर रखा जाएगा, ताकि जनता जान सके कि किन मुद्दों पर उनके हितों से समझौता हुआ है। रेखा गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंदाज में कहा कि पिछली सरकार को भ्रष्टाचार के जरिए ली गई जनता की गाढ़ी कमाई वापस करनी होगी।
रेखा गुप्ता पर न सिर्फ दिल्ली की सत्ता को मजबूत करने, बल्कि आरएसएस-भाजपा के वैचारिक मॉडल को पूरी मजबूती से स्थापित करने की जिम्मेदारी है। उनके लिए यह एक कठिन परीक्षा होगी, जिसमें दिल्ली की राजनीति की दिशा और दशा तय होगी।

आतिशी के सामने बड़ी चुनौती

आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी को कालकाजी सीट से जीत के बाद नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। आतिशी के पास न केवल अपनी पार्टी का खोया हुआ जनविश्वास लौटाने की जिम्मेदारी है, बल्कि उन्हें भाजपा सरकार की आक्रामक राजनीति का भी सामना करना होगा।
सदन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे कद्दावर नेताओं की गैरमौजूदगी में आतिशी को आम आदमी पार्टी को एकजुट रखना और भाजपा के हमलों का प्रभावी जवाब देना एक बड़ी परीक्षा होगी। यदि आतिशी इसमें सफल रहती हैं, तो यह उनकी राजनीतिक कुशलता का बड़ा प्रमाण होगा।

दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की ऐतिहासिक भूमिका

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज को भले ही कम समय के लिए मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला हो, लेकिन उन्होंने अपने छोटे कार्यकाल में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। दूसरी ओर शीला दीक्षित ने अपने लंबे कार्यकाल में दिल्ली को विकास के नए पथ पर अग्रसर किया और राजधानी के कायाकल्प की मिसाल पेश की। आज भी दिल्ली की राजनीति में शीला दीक्षित का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।

महिलाओं के हाथों नई राजनीतिक दिशा

दिल्ली की सत्ता पक्ष की कमान रेखा गुप्ता के पास है, जबकि विपक्ष की अगुवाई आतिशी करेंगी। यदि दोनों पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाते हैं, तो यह न केवल दिल्ली बल्कि देश की राजनीति में भी एक बड़ा बदलाव साबित होगा। इससे उन राजनीतिक दलों के लिए भी एक मिसाल पेश होगी, जो अब तक महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देने से कतराते रहे हैं।
इस नई राजनीतिक तस्वीर में यह देखना दिलचस्प होगा कि रेखा गुप्ता अपने आक्रामक तेवरों और विकास के एजेंडे के साथ कितनी दूर तक जाती हैं और आतिशी अपने राजनीतिक कौशल से भाजपा के प्रचंड बहुमत का मुकाबला करने में कितनी सफल होती हैं।

दिल्ली की राजनीति का यह नया अध्याय आने वाले समय में न केवल दिल्ली की दिशा तय करेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी दूरगामी प्रभाव डालेगा।

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