PDS चावल, शक्कर और नमक घोटाला, गरीबों के हक पर डाका

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गौरेला पेंड्रा मरवाही। लवकेश सिंह दीक्षित। जिले के ग्राम परासी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों को सस्ते दामों पर दिए जाने वाले चावल, शक्कर और नमक में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला उजागर हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उचित मूल्य दुकान संचालक न केवल हितग्राहियों से उनका चावल खरीदकर बड़े व्यापारियों को बेच रहे हैं, बल्कि शक्कर को सरकार द्वारा निर्धारित ₹17 प्रति किलो की दर के बजाय ₹20 प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। इसके अलावा, नमक वितरण में भी अनियमितता बरती जा रही है, जहां दुकान संचालक “नमक की बोरी फट गई” या “नमक खराब हो गया है” जैसे बहाने बनाकर नमक देने से इनकार कर रहे हैं। इससे सरकार की गरीब कल्याण योजना को गहरा धक्का लग रहा है और जरूरतमंद लोगों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है।

राशन कार्ड का दुरुपयोग

घोटाले से पता चला है कि कई ऐसे लोगों के राशन कार्ड बनाए गए हैं, जिन्हें चावल, शक्कर या नमक की आवश्यकता नहीं है। ये लोग राशन कार्ड को आय का स्रोत बना रहे हैं। इसकी वजह से गरीब मजदूर वर्ग, जिनके लिए PDS की यह सामग्री जीवनयापन का महत्वपूर्ण आधार है, के साथ अन्याय हो रहा है।

हितग्राहियों की शिकायतें

परासी की सोनांचल और जय महामाया स्व-सहायता समूह की हितग्राही हीरज बाई रजक (पति छेदी लाल रजक) ने बताया कि उनके पास राशन कार्ड होने के बावजूद उन्हें न तो चावल, न शक्कर, और न ही नमक दिया जा रहा है।। दुकान संचालक बहाना बनाते हैं कि “चावल खत्म हो गया”, “शक्कर का स्टॉक नहीं है”, या “नमक की बोरी फट गई, पैकेट खराब हो गया है।” शक्कर उपलब्ध होने पर ₹20 प्रति किलो की अधिक कीमत वसूली जा रही है, जबकि सरकार ने ₹17 की दर निर्धारित की है। नमक के मामले में भी दुकान संचालकों की मनमानी के कारण हितग्राहियों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है, जब सरकार ने सभी राशन दुकानों पर तीन महीने का चावल और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने का दावा किया है।

चावल उत्सव’ का कड़वा सच

सरकार ने बारिश के मौसम में लोगों को राशन के लिए परेशानी न हो, इसलिए तीन महीने का चावल और अन्य खाद्य सामग्री एकसाथ देने की योजना शुरू की, जिसे “चावल उत्सव” का नाम दिया गया। लेकिन परासी में यह उत्सव महज कागजों तक सीमित है। हितग्राहियों का आरोप है कि चावल, शक्कर और नमक या तो कालाबाजारी में बेच दिए जाते हैं या फिर खराब गुणवत्ता वाली सामग्री बांटी जा रही है। शक्कर की अधिक कीमत और नमक के लिए बहानेबाजी ने इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।प्रशासन की चुप्पी
इस मामले में स्थानीय प्रशासन की खामोशी चिंताजनक है। हितग्राहियों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद उनकी बात नहीं सुनी जाती। चावल की कालाबाजारी, शक्कर की अधिक कीमत और नमक वितरण में अनियमितता के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह PDS प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।

परासी के ग्रामीणों ने मांग की है कि इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी दुकान संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि हर पात्र हितग्राही को समय पर और सही मात्रा में चावल, शक्कर और नमक निर्धारित मूल्य पर मिले। विशेष रूप से शक्कर की अधिक कीमत वसूलने और नमक वितरण में बहानेबाजी की प्रथा को तत्काल रोका जाए।

जिले में PDS की खामियां उजागर

यह मामला न केवल परासी, बल्कि पूरे गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में PDS प्रणाली की खामियों को उजागर करता है। सरकार को तुरंत कदम उठाकर गरीबों के हक की रक्षा करनी चाहिए और चावल, शक्कर व नमक की कालाबाजारी करने वालों पर नकेल कसनी चाहिए। गरीबों की थाली से उनका हिस्सा छीनने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ही इस व्यवस्था में विश्वास बहाल कर सकती है।

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