
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही । लवकेश सिंह दीक्षित। जिले में सोमवार को मौसम ने ऐसी करवट ली कि तपती गर्मी में लोग ठिठुरने को मजबूर हो गए। तेज धूप और लू की चेतावनी के बीच मौसम विभाग ने बारिश और ओलावृष्टि की आशंका जताई थी, जो दोपहर करीब 12:30 बजे हकीकत में बदल गई। अचानक काले बादलों ने आसमान को ढक लिया और तेज हवाओं के साथ भारी बारिश शुरू हो गई। इसके साथ ही बड़े-बड़े ओले गिरने लगे, जिनका आकार इतना खतरनाक था कि लोगों में दहशत फैल गई।
करीब 25 मिनट तक चली इस बारिश और ओलावृष्टि ने पेंड्रा, मरवाही, परासी, चंगेरी और आसपास के गांवों को बर्फ की चादर से ढक दिया। सड़कें, गलियां और खेत बर्फ से पट गए, जिससे पूरा इलाका किसी बर्फीले क्षेत्र जैसा दिखने लगा। इस अप्रत्याशित मौसम ने जनजीवन को पूरी तरह ठप कर दिया। बाजार बंद हो गए, लोग घरों में कैद हो गए, और सड़कों पर सन्नाटा पसर गया।
किसानों की उम्मीदों पर ओलों की मार
इस प्राकृतिक आपदा ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया। खेतों में तैयार फसलें, खासकर सब्जियां और अनाज, ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गईं। स्थानीय किसानों का कहना है कि ओलों ने उनकी महीनों की मेहनत को मिनटों में बर्बाद कर दिया। मरवाही और परासी के कई गांवों में फसलों को भारी क्षति पहुंची, जिससे किसान मायूस हैं और सरकार से राहत की गुहार लगा रहे हैं।
प्रशासन और मौसम विभाग सतर्क
मौसम के इस अचानक बदले मिजाज ने जिला प्रशासन को भी हरकत में ला दिया। लोगों से घरों में रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की गई है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक हल्की बारिश और तेज हवाओं की संभावना जताई है। प्रशासन ने आपात स्थिति से निपटने के लिए टीमें तैनात की हैं और प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है।
लोगों में डर और आश्चर्य
गर्मी के मौसम में इस तरह की ओलावृष्टि ने लोगों को हैरान कर दिया। स्थानीय निवासी इसे प्रकृति का अप्रत्याशित प्रकोप बता रहे हैं। एक ओर जहां बारिश ने गर्मी से राहत दी, वहीं ओलों ने तबाही मचा दी। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह का मौसम उन्होंने दशकों में नहीं देखा। कई लोग इसे जलवायु परिवर्तन का नतीजा मान रहे हैं।