झोझा जलप्रपात: प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन का नया केंद्र

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले के विभिन्न पर्यटन स्थलों में से एक है झोझा जलप्रपात। चारों ओर पर्वतों से घिरे और लगभग 100 फुट की ऊंचाई से गिरते झरने की खूबसूरत नजारे पर्यटकों का मन मोह लेता है। झोझा जलप्रपात का लुफ्त उठाने के लिए जनवरी का महीना सुनहरा मौसम है। कई पर्यटक यहां अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने, तो कई अपने मित्रों के साथ झरने में नहाने का लुफ्त उठाने बड़ी संख्या में पहुंच रहे है। पर्यटक यहां झरने में स्नान के साथ साथ खूब मौज-मस्ती करते हैं। यह जल प्रपात स्थानीय पर्यटकों से गुलजार रहता है। ज्यादातर लोग अपने छुट्टी बिताने के लिए इस जगह का चयन करते है।

झोझा जल प्रपात में एक जनवरी को मेला लगता है। इस दिन दूर- दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इन पर्यटकों को पता है कि इस दिन यहां मेला लगता है। इस दिन यहां का नजारा देखने लायक रहता है। यदि आप इस मौसम में झोझा जलप्रपात जाना चाहते है तो पेंड्रा से आठ किमी दूर बसंतपुर चौराहे से 28 किमी की दूरी तय कर बस्ती बगरा पहुंच सकते है। बस्ती से मात्र चार किमी दूर जलप्रपात है। हालांकि एक से दो किलोमीटर कच्ची सड़को के रास्ते और एक किलोमीटर पैदल चलकर झोझा जलप्रपात तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। तीन किमी में कच्ची-पक्की सड़क है।
जिला मुख्यालय गौरेला से 40 किमी दूर स्थित यहाँ घने जंगल की बीच बहते झरने के किनारे अनेक दुर्लभ पक्षी और तितलियों का झुंड साल भर देखा जा सकता है। यहाँ जंगली चिरायता, भुई आंवला, मूसली जैसी वन औषधियां चारों ओर फैली दिखती हैं। यह ट्रेकिंग के लिए एक आदर्श स्थान है। यहाँ कैम्पिंग का लुत्फ़ लिया जा सकता है। यहाँ बने होम स्टे में रुककर स्थानीय जनजातीय व्यंजनों का लुत्फ़ भी लिया जा सकता है। पर्यटन स्थल सोशल मीडिया में पोस्ट होने के वजह से अब धीरे-धीरे झोझा जलप्रपात में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बीतें पांच सालों में यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी की विशेष पहल पर जिले के पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है। पर्यटकों की सुविधा के लिए झोझा जलप्रपात तक पहुंचने के लिए डीएमएफ मद से सीढ़ी बनाए जा रहे है। बम्हनी नदी की धारा पर बने झोझा जलप्रपात अपने सुंदर दृश्य के लिए जाने जाते है। बताया जाता है कि झरने से गिरने वाला पानी हसदेव नदी पर जाकर मिल जाता है। जिला प्रशासन की पहल पर यहां स्थानीय ग्रामीणों को शामिल कर एक समिति का गठन किया गया। समिति के सदस्य अब यहां पहुंचने वाले पर्यटकों से कुछ शुल्क लेते हैं। समिति बनने से एक फायदा होगा कि यह क्षेत्र साफ- सुथरा रहेगा।

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